वर्षों से कुमारी आसव का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचारों के लिए किया जाता रहा है। इस के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हैं । इसे कुमारी यानि एलोवेरा से तैयार किया जाता है। यह लीवर की समस्याओं, अस्थमा, बवासीर और मानसिक रोगों से संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोगी है। यह पाचन से संबंधित समस्याओं और रजोनिवृत्ति से जुड़े लक्षणों के इलाज में भी सहायक है।

आयुर्वेद में इसे भूख बढ़ाने वाला और अच्छे पाचन गुणों के कारण पाचन के लिए लाभकारी माना जाता है। ये वात और कफ को संतुलित रख के  मूत्र और श्वसन रोगों के साथ ही अस्थमा में भी फायदेमंद है।

कुमारी आसव में गुड भी होता है जो रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, यदि आप मधुमेह की दवा ले रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श करें। 

इस में एलोवेरा, अदरक, कालीमिर्च, पिप्पली, लौंग, दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता, नागकेसर, चित्रक, विदंगा, धनिया, नागरमोथा, गुड़, शहद जैसे कई आयुर्वेदिक तत्व शामिल होते हैं ।  

 
  1. कुमारी आसव के फायदे और नुकसान - Kumari Asav Ke Fayde
  2. लीवर हेल्थ के लिए कुमारी आसव के फायदे
  3. बदहजमी के लिए कुमारी आसव के फायदे
  4. एनोरेक्सिया को ठीक करनेके लिए कुमारी आसव के फायदे
  5. पेट के स्वास्थ के लिए कुमारी आसव के फायदे
  6. कष्टार्तव या पेट में ऐंठन को रोकने के लिए कुमारी आसव के फायदे
  7. डिसुरिया को ठीक करने के लिए कुमारी आसव के फायदे
  8. गुर्दे की पथरी को ठीक करने के लिए कुमारी आसव के फायदे
  9. अस्थमा के लिए कुमारी आसव के फायदे
  10. कुमारी आसव के नुकसान
  11. सारांश

कुमारी आसव के निम्न फायदे हैं - 

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अक्सर लिवर की समस्याएं आनुवांशिक कारणों से या लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों से होती हैं, जैसे वायरस, अत्यधिक शराब का सेवन और मोटापा। कुमारी आसव एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो लिवर के स्वास्थ को अच्छा रखते हुए लिवर से जुड़ी बीमारियों जैसे पीलिया, यकृत वृद्धि और अन्य यकृत से संबंधित परेशानियों को ठीक रखने में लाभकारी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह लिवर को संक्रमण से बचाता है।  

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बदहजमी होने पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या बेचैनी जैसा अनुभव होता है । कभी कभी पेट पर सूजन की समस्या भी आ सकती है । ऐसा पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब भी खाया गया भोजन कम पाचन अग्नि के कारण बिना पचे रह जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप शरीर में विषाक्त अवशेष का निर्माण होता है। शरीर में जमा यही विषाक्त पदार्थ अपच का कारण बनते है। बदहजमी खाए गए भोजन के पचने की अपूर्ण प्रक्रिया की स्थिति है। अपच के लिए कुमारी आसव एक उपयोगी उपाय है। यह पाचक अग्नि में सुधार करता है और भूख को बढ़ाता है ।  

 

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एनोरेक्सिया को भूख न लगना भी कहा जाता है। इस से या तो लोगों का वजन बढ़ जाता है या कम हो जाता है लेकिन होते दोनों खतरनाक रूप से ही हैं । आयुर्वेद के अनुसार, एनोरेक्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप वात, पित्त और कफ दोषों का असंतुलन हो जाता है। कम पाचन अग्नि के कारण खाया गया भोजन पच नहीं पता और यही स्थिति एनोरेक्सिया कहलाती है। इस के कारण पेट में गैस्ट्रिक रस का अपर्याप्त स्राव होता है, जिसके कारण भूख कम हो जाती है। कुमारी आसव को अपने भूख बढ़ाने वाले गुणों के कारण जाना जाता है । 

 

पेट फूलना पेट में गैस बनने के कारण होता है । जिस के कारण पेट या आंतों में समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। कम पित्त दोष और बढ़े हुए वात दोष के कारण पाचन ख़राब हो जाता है और गैस बनने लगती है या पेट फूलने लगता है। कुमारी आसव अपने वात संतुलन गुणों के कारण पेट से गैस बाहर निकाल कर पेट का फूलन कम करता है। 

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कष्टार्तव मासिक धर्म के दौरान या उससे ठीक पहले दर्द या बेचैनी (ऐंठन) की स्थिति है। ये दर्द आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस स्थिति को कष्ट-आर्तव के नाम से जाना जाता है। मासिक धर्म वात दोष द्वारा नियंत्रित होता है। कष्टार्तव के लक्षणों का कारण बढ़ा हुआ वात दोष है। यह मांसपेशियों को आराम देने और ऐंठन से राहत दिलाने में भी मदद करती है।

पीरियड्स और मेनोपॉज के दौरान हार्मोंस को संतुलित करने के लिए , हैवी डिस्चार्ज को कंट्रोल करने के लिए और व्हाइट डिस्चार्ज को रोकने के लिए आप माई उपचार की पत्रांगसवा को जरूर आजमाएँ। 
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डिसुरिया पेशाब के दौरान होने वाला दर्द या परेशानी है। अनुचित खान-पान, बहुत ज्यादा शारीरिक व्यायाम या किसी बाहरी या आंतरिक चोट के कारण मूत्र पथ में तीनों दोषों विशेषकर वात दोष का असंतुलन हो जाता है। इससे मूत्र पथ में जलन होती है जिसके परिणामस्वरूप दर्दनाक और अधूरा पेशाब होता है जिसे डिसुरिया कहा जाता है। कुमार्यासव अपने वात और कफ संतुलन गुणों के कारण अपूर्ण पेशाब के लक्षणों को कम करके डिसुरिया के प्रबंधन में मदद करती है।  

 

गुर्दे की पथरी में जमा छोटे छोटे पत्थर जैसे कणों को निकलने पर अक्सर बहुत दर्द होता है। आयुर्वेद के अनुसार गुर्दे की पथरी वात और कफ दोष असंतुलन का एक रोग है जो मूत्र प्रणाली में रुकावट का कारण बनता है। इससे कभी-कभी असामान्य मूत्र प्रवाह, दर्द या पेशाब करते समय जलन हो सकती है। कुमारी आसव अपने वात और कफ संतुलन गुणों के कारण गुर्दे की पथरी के प्रबंधन में मदद करता है। यह अपने विषहरण गुण के कारण गुर्दे से पथरी को निकालने में मदद भी करती है। 

 
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अस्थमा से फेफड़ों के वायु मार्ग की सूजन आ जाती है जिससे व्यक्ति के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार सांस फूलने और सीने से घरघराहट जैसी आवाजों का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा में शामिल मुख्य दोष वात और कफ हैं। बढ़ा हुआ कफ दोष फेफड़ों में वात दोष को असंतुलित कर देता है। यह वायुमार्ग में रुकावट पैदा करता है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और इस स्थिति को ही अस्थमा कहते हैं। कुमारी आसव अपने वात और कफ संतुलन गुणों के कारण अस्थमा के प्रबंधन में मदद करती है। यह अपने विषहरण गुण के कारण वायु मार्ग में आने वाली रुकावट को दूर करने में भी लाभकारी है ।  

कुमारी आसव में एंटीऑक्सिडेंट्स, एंजाइम्स, और विटामिन्स होते हैं जो विषाक्तता को कम करने में मदद करते हैं। कुमारी आसव को रोजाना सेवन करने से मोटापे को कम किया जा सकता है। कुमारी आसव त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। ये ऊर्जा को बढ़ाने और थकान को कम करने में भी लाभकारी है।

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कुमारी आसव के पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक दवा होने के कारण इस के कोई भी नुकसान नहीं हैं लेकिन कुमारी आसव की ओवरडोज लेने से पेशाब की नली में सूजन की समस्या पैदा हो सकती है।  

अगर किसी को ग्वारपाठा से एलर्जी हो तो कुमारी आसव निकसान दायक हो सकती है।   गर्भावस्था में कुमारी आसव के प्रयोग से बचना चाहिए और एसिडिटी की समस्या होने पर आसव समस्या को बढ़ा सकता है इसलिए एसिडिटी होने पर सेवन करने में सावधानी बरतनी चाहिए । ये शरीर के खुन को पतला कर सकती है और अनेक समस्याओं का कारण बन सकती है। कुमारी आसव का अधिक सेवन करने से शारीरिक असमंजस भी हो सकता है, जैसे कि चक्कर आना, खांसी, थकान, या ताजगी की कमी।

कुमारी आसव का उपयोग करने से पहले, विशेष रूप से यदि आपके पास किसी भी मेडिकल स्थिति में डॉक्टर से जरूर परामर्श करें । 

 

कुमारी आसव को इसके अविश्वसनीय चिकित्सीय लाभों के कारण आयुर्वेद में यकृत की समस्याओं के लिए एक अंतिम इलाज के रूप में माना गया है । यह बेहतर पाचन की गारंटी देता है, किडनी की परेशानियों  से राहत देता है, एनोरेक्सिया का इलाज करता है, श्वसन संबंधी समस्याओं का इलाज करता है, स्त्री रोग संबंधी समस्याओं से राहत देता है और इस प्रकार समग्र स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।

 
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